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  | Archive through May 29, 2006 | 20 | 05-29-06 4:52 pm |
Shyamli
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| Monday, May 29, 2006 - 4:53 pm: |
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नको नाव रे कृष्णाचे मला खुणावीते राधा रंगले भक्तीत मी का फिरूनी रास आता श्यामली!!! मृण्मयी येऊ दे तुझ्याकडूनपण
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असे जगून कळेना गोडी भक्तीची अवीट तुझ्या पायीची विठ्ठला आता होउ दे ती वीट
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माझा देह पांडुरंग अंतरंग पांडुरंग रक्त जाहले भिमाई श्वास जाहला तरंग
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नाव द्यायचे कोणते ? नाव द्यायचे कशाला ? मौनातून साद गेली मूक प्रतिसाद आला
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व्यर्थ जन्मभर त्याचा गोंजारला मी आकार श्वास सरता कळाले त्यात होता निराकार
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Shyamli
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| Monday, May 29, 2006 - 5:09 pm: |
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नाही सुचत आता मौन झाला पांडुरंग घेता कान्हाचे ते नाव मीरा गातसे अभंग श्यामली!!!
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तुझ्या इतक्या अफाट प्रतीभेपुढे काय बोलायचं वैभव? श्यामली, तुझ्या झुळुकेची वाट बघतेय.
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नाही नाहीच देवा ही सिध्दहस्त रे लेखणी तुझे नाव रेखियले झाली कविता देखणी
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Shyamli
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| Monday, May 29, 2006 - 5:11 pm: |
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छ्या दमले मी.... नाही सुचत मला आता 
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Shyamli
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| Monday, May 29, 2006 - 5:14 pm: |
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सुचेना काही आज देवाच्या स्मरणी... रंगली लेखणी देवा तुझ्या रे चरणी श्यामली!!!
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मनःपूर्वक धन्यवाद मृण्मयी , श्यामली ... खरं तर थांबवत नाहीये पण ..... असो , तुला वंदुनिया आज इथेच थांबतो शब्द प्रसन्न रहावा हाच आशिष मागतो वैभव ........
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Shyamli
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| Monday, May 29, 2006 - 5:32 pm: |
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गेले का गुरुजी... तथास्तु.... देवाला उचक्या लागल्या असतिल झोपेत
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