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मयूर, मस्तच!! कसे सुचते रे तुम्हाला?
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कसे सुचते रे तुम्हाला?....डोके खुप खाजवले की
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Mavla
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| Monday, April 17, 2006 - 11:01 am: |
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गुरु मान्सान्च्या कवितेला समर्थनाचि गरज काय? पन वाह म्हनल्या शिवाय रहवेना. चित्र आनि कविताहि
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Nirav
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| Monday, April 24, 2006 - 7:30 am: |
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कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती करमुले तु गोविंद्: प्रभाते करदर्श नम
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वा रे व्वा ! मयुर्या, काय पण लिहितोस राजा !! सहीच !!! झेंडूचे फूल
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Gajanan1
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| Wednesday, April 26, 2006 - 2:12 am: |
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नुसत येकमेकाच कौतिक करु नका. आता गप गुमान कविता लिवा.
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Gajanan1
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| Wednesday, April 26, 2006 - 3:31 am: |
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जन्गल लाईफ़चा कट्टाळा आला आनि इचार केला.. जरा मानसाच्या राज्यात जाऊ मानसागत राहू मानूस व्हायला गेलो खरा. पन काही नवीन वाटचना थम्स अपची झाली सोन्ड अन बोटाखालच्या घडीचे झाले तोन्ड टीचभर हाताच पोट झाल, पन म्हटल भागवून घेऊ चार बोटानी कसाबसा देह सावरला म्हटल तसच चालवून घेऊ दात आणले, कान आणले काळे पान्ढरे रन्ग आणले मानसागत रूपड आनल.. आनी हळूच आरशात पाहिल.. साला मै तो आदमी बन गया! जोर से मै चिल्लाया पन तेवढ्यात जाणवल.. आयला.. गड्या काहीतरी चुकल चूक उमगली.. आणि मानूस व्हन्याचा नाद सोडला सोन्ड गुन्डाळून जन्गलचा रस्ता धरला मानसागत राहण हे काही बर नाही अहो बिनशेपटीच आयुष्य ते.. ते काही खर नाही!
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Jo_s
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| Wednesday, April 26, 2006 - 5:25 am: |
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"हात्ती"च्या, एवढचना त्यात काय एवढ मोठं करून टाकू कविता चित्र, खरं असो की खोटं किती कल्पक तो, ज्याने केले चित्र हाती हत्तीचे येर्या गबाळ्याचे काम नाही तेथे पाहीजे जातीचे अंगठ्याची सोंड आणि चार बोटांचे पाय दात, डोळा, कान रंगवून ऐटीत उभे हाथिभाय
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Moodi
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| Wednesday, April 26, 2006 - 6:53 am: |
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वा!! गजानन चित्र तर छानच पण कविता ही झकास. जो एस खुपच सुरेख.
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Jayavi
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| Wednesday, April 26, 2006 - 7:11 am: |
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गजानना, सुधीर....... एकदम सही !
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Kandapohe
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| Wednesday, April 26, 2006 - 8:05 am: |
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चित्र पण सही कविता पण सहीच.
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Nvgole
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| Thursday, April 27, 2006 - 2:56 am: |
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वा! गजाननराव उत्तम हत्ती. आणि कविताही. सुधीर, छान कविता. डोळ्यांच्या जागी लावली आहे गुंडी कळत नाही मात्र, दात कसा झाला कानाचा भास आणलाय कसा, आणि खरंच की गजाभाऊ, शेपुट नाही त्याला! ||
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बीन शेपटीचे आयुष्य कहि खर नाहि...
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Jo_s
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| Friday, April 28, 2006 - 5:44 am: |
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धन्यवाद मंडळी गोळेसाहेब बर्याच दिवसानी दिसताय.
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