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%yaat kaya² %yaaMnaI hÜ mhTlao Asato tr tovhacyaa Baartatlyaa laÜkaMnaI prdoXaI XaojaaáyaaMXaI baÜlaNao
ekmaokaMcyaa GarI jaaNao yaa irtI Aahot Asaaca Aqa- Gaotlaa Asata.
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Bhagya
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| Wednesday, October 19, 2005 - 12:04 am: |
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Ja@kIkakaÊ Kroca kayaÆ baap ro² [tkMca naahIÊ tr [qao Aaplyaa maulaaMnaa iktI vaaT vaLNa Asato AaiNa Baartat iktI caaMgaila maulao Asatat
ho pNa saarKo kanaavar pDto.
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Bee
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| Wednesday, October 19, 2005 - 5:14 am: |
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(ava$na ho laxaat yaotM kI Aa<aacaI ipZI hI Ja@kIMcyaa ipZIpoxaa baáyaaca pTInao huXaar Aaho
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Zakki
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| Wednesday, October 19, 2005 - 1:11 pm: |
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malaa vaaTto %yaaMnaI hÜ mhMTlao Asaavao mhNaUnaca ekaekI [qao BaartIya laÜkaMcaI gadI- JaalaI² iXavaaya
svastat kamao krtat²

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सुपर मॉम मेघा,पमा सायो नमस्कार मैत्रिणीनो,मि मनालि, माझे मत प्रथमच व्यक्त करित आहे तुम्हि सगळ्या अमेरिकेत आहात.गल्फ़ मधे राहणार्या स्त्रियान्चि स्थिति पण काहि वेगळि नाहि.भारतात गेल्यावर अशीच खवचट बोलणी ऐकुन घ्यावि लागतात.(मुख़्यत्वे करुन सासर कड्च्याचि),तुम्हि किमान तिथे बाहेर तरि पडु शकता पण इथे तर ते देखिल शक्य नाहि........प्रत्येक गोष्टी साठि नवर्यावर अवलंबुन रहावे लागते आणि काहि वेळेस(बहुतेक वेळेस?)त्याचा मूड नसतो अश्या वेळेस खुप वाईट वाट्ते पण शेवटि "आलिया भोगासि असावे सादर" म्हणून सोडुन द्यावे लागते. भारतात गेल्या वर ऐकवुन दाखवणर्या लोकाचे म्हणाल तर त्याला अन्त नाहि कारण शेवटि स्वभाव बदलणे शक्य नाहि. . ज्या बायकानि स्वत ह कधि झाडू हातात घेतला नाहि अश्याना टोमणे मारायचि सवय असते.इथे राहुन काय काय दिव्य करावि लागतात हे इथे रहाणार्यानाच समजु शकते. पण अश्या लोका कडे दुर्लक्ष करणे योग्य. म्हणतात न मओनम सर्वार्थ साधनम' आपलि वेळ पन कधि तरि येइलच कि.?
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Prady
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| Friday, December 08, 2006 - 3:23 pm: |
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यंदाच्या म्हणजे २००७ च्या कालनिर्णयमधे मीना नेरुरकरांचा " गृहिणीपद अमेरिकन स्टईल" म्हणून लेख आलाय. कदाचीत तो वाचून बर्याच जणांचे गैरसमज दूर होतील.
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