laahI jamaadar yaaMcyaa BaavanaaMcaI vaad\Lo yaa gajala saMga`hatIla naIvaD\k gajala
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Kshipra
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| Monday, March 07, 2005 - 12:38 pm: |
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jaKmaa AXyaa saugaMQaI vhavyaat kaLjaalaa vaar jyaanao kravaa tÜ maÜgara Asaavaa ek jaKma saugaMQaI
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वाचलेली ऐकलेली माणसे गेली कुठे पुस्तकातून पाहिलेली माणसे गेली कुठे रोज अत्याचार होतो आरशावरती आता आरशाला भावलेली माणसे गेली कुठे अंदाज आरशाचा वाटे खरा असावा बहुतेक माणसाचा तो चेहरा असावा काठावरी उतरली स्वप्ने तहानलेली डोळ्यात वेदनेचा माझ्या झरा असावा जखमा कशा सुगंधी झाल्यात काळजाला केलेत वार ज्याने तो मोगरा असावा माथ्यावरी नभाचे ओझे सदा ईलाही दाही दिशा कशाच्या हा पिन्जरा असावा
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KONI ILAHI SARANCHYA "SAKHAYE" MADHLYA KAVITA VACHLYA AAHET KA? PHARACH SUNDAR AAHET.
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इलाही जमादाराना माझा नमस्कार...
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