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| Archive through June 10, 2007 | 20 | 06-11-07 3:07 am |
छत्रपती, अहो मी रॉबीनहूड. लोकानी त्याचा शॉर्ट फॉर्म हूड असा केला आहे. म्हणून स्वाती म्हणाली'हूडा' आता स्वाती आम्बोळे काय रसायन आहे त्यासाठी तुला न्यू जर्सीच्या बी बी ला भेट द्यायला लागेल. तेथेच तुला आदिमायबोलीचार्य झक्की(मी त्याना त्रिवार वन्दन करतो.)धडकण्याची शक्यता. तिथेच तुला ते शिंगे मोडून वासरात शिरलेले दिसतील.... फार मोठ्ठा माणूस..
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Slarti
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| Monday, June 11, 2007 - 3:21 pm: |
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सोन्याचे हरीण, त्याचे फेंगडे फेंगडे पाय अगबाई, XXX अजून आले नाहीत, खड्ड्यात पडले की काय !
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हे हूडा, हे हूड्यानो, हे हूड्यांनो -- संबोधन ! ओके हा उखाणा मी कोल्हापूरात ऐकला होता :- चांदीच्या थाळीत व्हतं स्वोन्याचं तुकडं । घास भरवते मरतुकड्या, त्वांड कर हिकडं ॥
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Ana_meera
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| Saturday, October 06, 2007 - 12:17 pm: |
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छत्रपती, हे घ्या एक्श्लोकी महाभारत... " आदो देवकी देव गर्भ जननमं, गोपीगृहे वर्धनम माया पुतन जीवी ताप हरणंमं, गोवर्धनोध्दारणम.. कंसच्छेदन कौरवादि हननंम, कुंती तनुजावनम एतद भागवतम पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम.." या एकश्लोकी रामायण, महाभारतानंतर आम्ही लहानपणी आजीने शिकवलेला १ सुंदर श्लोक म्हणायचो... श्रुतेचिकी श्रोत्र न कुंडलाने दाने चिकी पाणी न कंकणाने साजे त साजे हयी आन आने परोपकारी कि नी चंदनाने....
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Kedar123
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| Sunday, January 20, 2008 - 5:29 am: |
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श्री. राम नगरकर ह्यांच्या 'रामनगरी' पूस्तकात एक भन्नाट उखाणा आहे.(कदाचित ऐकला किंवा वाचला असेल) 'राम' रावांबरोबर मी पिक्चर पाहीला सायको. 'श्याम' रावांच नाव घेते 'भवान' रावांची बायको.
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