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Bee
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| Wednesday, July 19, 2006 - 10:35 am: |
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मनोहर ओक ह्यांच्या काही कविता इथे पोष्ट्स करतो आहे.
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Bee
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| Wednesday, July 19, 2006 - 10:38 am: |
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गुंतलेला जीव मायेच्या फुलांशी पांगले सारे नभासम दूरदेशी भेटताना रुध्द कंठांशी कहाणी पापणिला पेलवेना चंद्रपाणी
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बी या ओळी ना धों महानोरांच्या आहेत.....
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Bee
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| Thursday, July 20, 2006 - 4:42 am: |
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रॉबीन नाही माझ्या मते ह्या नाधोंच्या ओळी नाहीत. तरीपण मी परत एकदा तपासून बघीन.
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ना धोंच्याच आहेत. वही कवितासंग्रहातील....
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Bee
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| Thursday, July 20, 2006 - 8:41 am: |
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बघून सांगतो.. तू त्या ग्रेसच्या बीबीवरील मी विचारलेली कविता पूर्ण करतो का? please..
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