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Moodi
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| Friday, May 19, 2006 - 12:15 pm: |
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सुविचार भाषेत जर सर्व स्तर आहेत तर मग सुविचाराचा वेगळा बीबी का नको? मा. नेमस्तक जर आधीच असा बीबी इथे उपलब्ध असेल तर कृपया माझी ही पोस्ट तिथे हलवावी ही नम्र विनंती. बरेचसे सुविचार अपल्याला आवडतात पण ते संग्रहीत असलेले बरे. वाचकांना पण विनंती की जमेल तसे त्यांनी पण यात भर टाकावी. हा एक सुविचार : अनुभव हे जमवण्यासाठी नसतात, ते वापरण्यासाठी असतात.
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Nalini
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| Wednesday, December 27, 2006 - 2:10 pm: |
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विद्येविना मती गेली मतीविना निती गेली नितीविना वित्त गेले वित्तेविना क्षुद्र खचले एवढे अनर्थ एका अविद्येने केले. म. फुले धन्यवाद सावनी, रॉबीनहूड
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Savani
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| Wednesday, December 27, 2006 - 2:22 pm: |
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नलू मला वाटतं इथे मती शब्द आहे मिती ऐवजी, CBDG
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Robeenhood
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| Wednesday, December 27, 2006 - 3:11 pm: |
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सावनीचे म्हणणे बरोबर आहे. ही रचना म. फुले यांची आहे...
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Hkumar
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| Wednesday, August 29, 2007 - 10:46 am: |
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शब्दापेक्षा कर्माचा ध्वनी मोठा असतो.
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Hkumar
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| Saturday, September 01, 2007 - 8:06 am: |
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बदलाला स्वतःपासून सुरवात करा. - म. गांधी
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Hkumar
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| Sunday, September 02, 2007 - 10:42 am: |
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संस्कार हे होतात ते करता येत नाहीत.
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Hkumar
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| Friday, October 12, 2007 - 7:50 am: |
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वाचाल तर वाचाल. चालाल तर 'चालाल'.
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