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Bee
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| Friday, December 02, 2005 - 9:09 am: |
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घोळाना हा संपूर्ण विदर्भीयन पदार्थ आहे. अर्धा जुडी चिरलेली पालक, अर्धा जुडी बारीक चिरलेली कोथिंबीर, फ़ुले आलेली कोथिंबीर मिळाली तर छानच, पाव वाटी अर्धवट भिजलेली चनाडाळ, दोन चिरलेले टोमॅटो, दोन चमचे शेंगदाण्याचे तेल, हरबर्याची भाजी असेल तर तीही एक मूठ घ्यायची, एक चमच लाल तिखट वर दिलेले सगळे काही एकत्र करून घोळायचे, त्यावर तिखटाची भुकटी टाकायची, दोन चमचे तेल टाकायचे, मिठ टाकायचे. साखर मुळीच नाही. अर्धा तास झाकून ठेवले की छान पाणी सुटते.
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Prajaktad
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| Friday, December 02, 2005 - 3:13 pm: |
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बी,पण या बीबी वर लिहलेस म्हणजे नुसतेच खायचे का?कि पोळि वैगेरे बरोबर?
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Bee
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| Saturday, December 03, 2005 - 2:56 pm: |
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प्राजक्ता, जसे आपण कोशिंबीर खातो तसेच घोळाना खायचा. खरे तर हा एक कोशिंबीरीचा प्रकार आहे असे बर्याचदा मला वाटते आहे पण घरचे मान्य करत नाही म्हणून मी स्वतंत्र बीबी केला.
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Malavika
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| Thursday, June 15, 2006 - 12:16 am: |
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घोळण्यची रेसिपी वाचून बारे वाटले. अस्सल वैदर्भीय पदार्थ. पालकाऐवजी मेथी घातली तरी छान लागेल.
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Dineshvs
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| Thursday, June 15, 2006 - 4:36 pm: |
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छान वेगळा प्रकार आहे हा. काहि काहि शब्दांची गंम्मत असते. ऊन्हाळ्यात जेंव्हा नाकातुन रक्त येते, त्याला घोळणा फुटला असे म्हणतात आमच्याकडे.
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Reciepy aavadlee karoon paahu.
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज गणेशोत्सव २००६ |
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