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Hkumar
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| Tuesday, February 05, 2008 - 4:54 am: |
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अगदी पूर्वीच्या लग्नपत्रिकांमध्ये '**** याचा हिच्याशी शरिरसंबंध करण्याचे योजिले आहे' असा मजकूर असायचा.( हे मी एका मासिकात वाचले. नाव आता आठवत नाही.)
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Anaghavn
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| Tuesday, February 05, 2008 - 4:59 am: |
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फ़रेंड, "नवरिचे आधी दुसर्या कोणावर तरी प्रेम होते का?" ह. ह. पु.वा. असो, पण अशा गोष्टी घरातल्या बाकीच्यांना खरच तोड़अ लपवायला लावतात.
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Psg
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| Tuesday, February 05, 2008 - 5:21 am: |
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असलं बरंच 'ठी-ठी' वाचल्यावर म्हणावसं वाटलं..'साठी-बुद्धी नाठी' मंदारच्या बिचार्या वडलांना पत्रिका देताना संकोच होत असावा. आम्हाला हळूच म्हणाले, "आम्ही निघाल्यावर वाचली तरी चालेल!"

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Manjud
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| Tuesday, February 05, 2008 - 6:31 am: |
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सगळेच नमूने सही आहेत एकदम...
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Sheshhnag
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| Tuesday, February 05, 2008 - 10:50 am: |
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ह. ह. पु. वा. लोक लग्नसमारंभाच्या निमित्ताने आपली हौस भागवून घेतात हे ऐकले, पाहिले होते, पण वरचे किस्से म्हणजे कमाल झाली.
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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